
केंद्रीय कर्मचारियों का 8वें वेतन आयोग का इंतजार अब शायद खत्म होने वाला है। लंबे समय की ख़ामोशी के बाद, आखिरकार सरकार ने संसद में इस मुद्दे पर बोलना शुरू कर दिया है। वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने हाल ही में संसद में बताया कि 8वें वेतन आयोग को लेकर आखिर चल क्या रहा है, जिससे लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की उम्मीदें एक बार फिर जाग गई हैं।
तो कर्मचारी संगठन चाहते क्या हैं?
जब संसद में सवाल उठा, तो सरकार ने बताया कि कर्मचारी संगठन लगातार अपनी मांगें भेज रहे हैं। नेशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NCJCM), जो कर्मचारियों और सरकार के बीच बातचीत का एक मंच है, ने 15 मांगों की एक लिस्ट सौंपी है। इन मांगों में सबसे अहम हैं:
- हर 5 साल में वेतन समीक्षा: 10 साल का लंबा इंतजार खत्म हो और हर 5 साल में सैलरी रिवाइज की जाए।
- पुरानी पेंशन योजना (OPS): 2004 के बाद नौकरी ज्वाइन करने वाले सभी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल हो।
- गारंटीड प्रमोशन: हर कर्मचारी को अपनी सेवा के दौरान कम से कम 3 प्रमोशन मिलें।
- पेंशन में बढ़ोतरी: पेंशनभोगियों की पेंशन भी हर 5 साल में बढ़ाई जाए।
सबसे बड़ा सवाल: आखिर सैलरी बढ़ेगी कितनी?
चलिए उस सवाल पर आते हैं जो हर कर्मचारी के मन में है – अगर 8वां वेतन आयोग आया, तो सैलरी में कितना उछाल आएगा?
यह सारा खेल फिटमेंट फैक्टर का है। याद कीजिए, 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 गुना था, जिससे न्यूनतम बेसिक सैलरी 7,000 रुपये से सीधे 18,000 रुपये हो गई थी।
इस बार समीकरण थोड़ा अलग है। कर्मचारी संगठन जहां 3.84 गुना फिटमेंट फैक्टर की मांग पर अड़े हैं, वहीं कुछ रिपोर्ट्स और एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि सरकार इसे 1.80 गुना के आसपास रख सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह बढ़ोतरी उम्मीद से काफी कम होगी और कर्मचारी संगठनों का भारी विरोध देखने को मिल सकता है।
एक और पेंच है महंगाई भत्ते (DA) का बेसिक सैलरी में विलय होना। जब DA 50% से ऊपर जाता है, तो उसे बेसिक सैलरी में जोड़ दिया जाता है। अगर ऐसा होता है, तो हाथ में आने वाली बढ़ोतरी शायद उतनी बड़ी न दिखे जितनी उम्मीद की जा रही है। फिर भी, माना जा रहा है कि 18,000 रुपये की न्यूनतम सैलरी बढ़कर 30,000 से 35,000 रुपये तक हो सकती है।
सरकार अभी क्या कर रही है?
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने साफ किया है कि अभी यह मामला सलाह-मशविरे के दौर में है। वित्त मंत्रालय इस पर गृह, रक्षा और रेल जैसे बड़े मंत्रालयों से चर्चा कर रहा है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि आयोग का गठन कब होगा, लेकिन यह संकेत जरूर दे दिया कि प्रक्रिया ठंडे बस्ते में नहीं है।
एक बात तो साफ़ है, सरकार ने इस मुद्दे पर सोचना शुरू कर दिया है। अब देखना यह होगा कि कर्मचारियों की उम्मीदों और सरकारी खजाने के बीच संतुलन कैसे बनता है और यह बड़ी घोषणा कब होती है।