लाडली बहना या लाडले भैया? महाराष्ट्र के खजाने को हिला देने वाला एक अनोखा घोटाला!
महाराष्ट्र में महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आर्थिक सहारा देने के लिए ‘लाडली बहना’ योजना शुरू की गई थी। सोच बहुत अच्छी थी – हर पात्र बहन के खाते में हर महीने 1500 रुपये जमा होंगे। लेकिन रुकिए! इस योजना के पर्दे के पीछे एक ऐसा ‘खेल’ चल रहा था, जिसे सुनकर आपके होश उड़ जाएँगे।
आंकड़ा सुनकर सिर चकरा जाएगा: 14,298 पुरुषों ने उठाया ‘लाडली बहना’ योजना का लाभ!
जी हाँ, आपने बिलकुल सही पढ़ा! पूरे 14,298 पुरुष पिछले दस महीनों से ‘लाडली बहना’ बनकर इस योजना का फायदा उठा रहे थे। इन ‘लाडले भाइयों’ के खातों में सरकार की तरफ से 21 करोड़ 44 लाख रुपये जमा भी हो चुके थे। यह सिर्फ एक गलती नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम की आँखों में धूल झोंककर किया गया एक बड़ा घोटाला है।
जब सरकारी कागजातों की जाँच शुरू हुई, तो यह चौंकाने वाला मामला सामने आया। अब सवाल यह है कि:
- महिलाओं के लिए बनी योजना में ये पुरुष आखिर घुसे कैसे?
- इनके कागजातों की जाँच किसने की?
- इस पूरे खेल के पीछे का ‘मास्टरमाइंड’ कौन है?
यह तो बस शुरुआत है? घोटाले का दायरा इससे कहीं ज्यादा बड़ा है!
अगर आपको लगता है कि कहानी यहीं खत्म हो गई, तो आप गलत हैं। इस घोटाले के आँकड़े तो और भी चौंकाने वाले हैं:
- 2.36 लाख संदिग्ध: करीब 2 लाख 36 हजार लाभार्थी ऐसे हैं, जिन पर शक है कि वे पुरुष होकर भी महिलाओं के नाम पर फायदा ले रहे थे। फिलहाल इनकी गहन जाँच चल रही है।
- उम्र भी नहीं आई आड़े: योजना के अनुसार, 65 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को लाभ नहीं दिया जा सकता। फिर भी, 2 लाख 87 हजार बुजुर्ग महिलाओं ने नियमों को ताक पर रखकर लाभ उठाया। उनके खातों में 431 करोड़ 70 लाख रुपये जमा हुए!
- एक ही घर में ‘लाडली बहनों’ की फौज: नियम था कि एक परिवार से केवल दो महिलाओं को ही लाभ मिलेगा, लेकिन 7 लाख 27 हजार मामलों में एक ही परिवार की दो से ज्यादा महिलाओं ने फायदा उठाया। इससे सरकार के 1,196 करोड़ रुपये गलत हाथों में चले गए!
सरकारी खजाना और आम आदमी की जेब
‘लाडली बहना’ योजना पर सरकार सालाना लगभग 42,000 करोड़ रुपये खर्च करती है। यह पैसा हमारा, यानी आम टैक्सपेयर का पैसा है। जब ऐसा कोई घोटाला होता है, तो यह सिर्फ सरकारी खजाने पर ही नहीं, बल्कि हम सबकी जेब पर चोट करता है। क्योंकि यही पैसा सड़कों, स्कूलों और विकास के दूसरे कामों में लग सकता था।
अब आगे क्या? क्या पैसे वापस मिलेंगे?
फिलहाल, गलत तरीके से लाभ ले रहे 14,298 पुरुषों का मानदेय बंद कर दिया गया है। लेकिन असली सवाल यह है कि, क्या सरकार उनसे लूटे गए 21 करोड़ 44 लाख रुपये वसूल करेगी? और क्या इस घोटाले के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी?
इस पूरे मामले ने सरकारी योजनाओं के अमल पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अगर ‘लाडली बहनों’ के हक का पैसा इस तरह लूटा जा रहा है, तो गलती आखिर किसकी है? सिस्टम की या उसके पीछे बैठे लोगों की?
इस पर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट्स में जरूर बताएं।