
एक पल के लिए सोचकर देखिए। घने जंगल के बीच, सूरज की किरणें पत्तों से छनकर ज़मीन पर पड़ रही हैं। तभी, पेड़ों के बीच से एक परछाई निकलती है। नारंगी और काली धारियों की एक शानदार झलक, ऐसी खामोश और शाही चाल कि देखने वाले की सांसें थम जाएं। हवा में एक अजीब सी शांति है। यह बाघ है – एक ऐसा जानवर जो सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि हमारी पौराणिक कथाओं का एक जीता-जागता हिस्सा है।
हर साल 29 जुलाई को ‘International Tiger Day’ पर हम इसी कड़वी सच्चाई से लड़ने के लिए खड़े होते हैं। और जब हम 2025 की ओर देख रहे हैं, तो यह दिन सिर्फ एक उत्सव नहीं है; यह उस वादे की एक महत्वपूर्ण जांच है जो हमने इस धरती की सबसे शानदार प्रजातियों में से एक से किया था। यह दिन कुछ कड़े सवाल पूछने का है: क्या हम अपना वादा निभा पाए? और अब हमें आगे क्या करना है?
आखिर यह दिन इतना ख़ास क्यों है?
चलिए, थोड़ा पीछे चलते हैं। साल 2010 में, सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में एक चौंकाने वाली सच्चाई दुनिया के सामने आई: पिछली एक सदी में दुनिया भर में जंगली बाघों की आबादी 97% तक घट गई थी। उनकी संख्या गिरकर सिर्फ 3,200 रह गई थी। हम उन्हें हमेशा के लिए खोने की कगार पर थे।
तब दुनिया ने एक अभूतपूर्व एकता दिखाई। बाघों की आबादी वाले 13 देशों ने मिलकर इतिहास का सबसे बड़ा और मुश्किल लक्ष्य रखा: TX2 Initiative। इसका मकसद था 2022 तक, जो कि बाघ का अगला वर्ष था, जंगली बाघों की संख्या को दोगुना करना। इसी मिशन के लिए हर साल आवाज़ उठाने के लिए ‘वैश्विक बाघ दिवस’ की शुरुआत हुई। यह दिन हमारी सफलताओं का जश्न मनाने और आने वाली चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने का दिन है।
अच्छी खबर: हमारे पास मुस्कुराने की वजह है
सबसे पहले एक बात साफ़ कर दें: संरक्षण के प्रयास सच में काम करते हैं। TX2 का लक्ष्य, हालांकि बहुत मुश्किल था, लेकिन उसने एक बड़े बदलाव की चिंगारी जलाई। इसके नतीजे शानदार रहे!
नेपाल ने एक अविश्वसनीय कारनामा करते हुए अपने बाघों की आबादी को लगभग तीन गुना कर लिया। भारत, जो दुनिया के सबसे ज़्यादा बाघों का घर है, ने अपने ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ जैसे दशकों पुराने प्रयासों की बदौलत बाघों की संख्या को 3,000 के पार पहुंचा दिया। भूटान, रूस और चीन के कुछ हिस्सों से भी बाघों की आबादी स्थिर होने या बढ़ने की खबरें आईं। ये जीत बहुत बड़ी हैं। इनके पीछे हज़ारों घंटों की एंटी-पोचिंग पेट्रोलिंग, जंगलों को फिर से बसाने की मेहनत और स्थानीय समुदायों के साथ की गई नाजुक बातचीत है।
बाघों की वापसी सिर्फ एक संख्या नहीं है। एक शीर्ष शिकारी होने के नाते, उनकी मौजूदगी पूरे जंगल के स्वास्थ्य का बैरोमीटर है। अगर बाघ फल-फूल रहे हैं, तो इसका मतलब है कि जंगल का संतुलन बना हुआ है – हिरण और जंगली सुअरों की आबादी स्वस्थ है, नदियां साफ हैं और जीवन का पूरा चक्र मजबूत है। जिस जंगल में बाघ है, वो जंगल सच में ज़िंदा है।
2025 की अनदेखी चुनौतियां: समस्याएं अनेक
लेकिन हम अपनी पुरानी सफलताओं पर बैठकर आराम नहीं कर सकते। जिन खतरों ने बाघों को विलुप्त होने की कगार पर खड़ा किया था, वे आज भी मौजूद हैं, और कुछ मामलों में तो और भी ज़्यादा जटिल हो गए हैं।
1. सिकुड़ते घर (आवास का खत्म होना) यह आज भी बाघों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। एक बाघ का इलाका उसका राज्य होता है; उसे शिकार करने, साथी खोजने और अपने शावकों को पालने के लिए एक बहुत बड़े और जुड़े हुए जंगल की ज़रूरत होती है। लेकिन हर दिन, इंसानी आबादी बढ़ने, खेती, सड़कें बनाने और शहर बसाने के लिए इन जंगलों को काटा जा रहा है। इससे न केवल ज़मीन कम हो रही है, बल्कि जंगल छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट रहे हैं। बाघ इन टुकड़ों में फंस जाते हैं, जिससे वे दूसरे बाघों तक नहीं पहुंच पाते। इससे उनमें génétic diversité (आनुवंशिक विविधता) कम हो जाती है और वे बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
2. अवैध शिकार का काला साया भले ही दुनिया भर में ध्यान दिए जाने से अवैध शिकार मुश्किल हो गया है, लेकिन यह रुका नहीं है। काले बाज़ार में एक बाघ की कीमत लाखों में हो सकती है। उसके अंगों का इस्तेमाल पारंपरिक दवाओं से लेकर सजावट के सामान तक में होता है। यह मांग एक अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क को बढ़ावा देती है जो बेहद क्रूर है। शिकारियों का सबसे खतरनाक हथियार है तार का फंदा। यह सस्ता और खामोश हत्यारा न केवल बाघों को, बल्कि जंगल के अनगिनत दूसरे जानवरों को भी मार डालता है।
3. इंसान और बाघ का टकराव जैसे-जैसे इंसानों और बाघों, दोनों की आबादी बढ़ रही है, उनका आमना-सामना भी बढ़ रहा है। जब बाघ को जंगल में अपना प्राकृतिक शिकार नहीं मिलता, तो वह आसान शिकार की तलाश में गांवों की ओर आ जाता है और पालतू जानवरों पर हमला कर देता है। जिस किसान परिवार की पूरी आजीविका एक गाय या कुछ बकरियों पर निर्भर है, उसके लिए यह एक तबाही है। इसका नतीजा अक्सर दुखद होता है – गुस्से में किसान उस बाघ को मार देते हैं। इस संघर्ष को सुलझाना शायद सबसे बड़ी चुनौती है। इसका हल बाघों को इंसानों से ज़्यादा अहमियत देना नहीं, बल्कि ऐसे तरीके खोजना है जिससे दोनों शांति से एक ही जगह पर रह सकें।
इस दहाड़ को ज़िंदा रखने में आपका योगदान
यह सब सुनकर शायद आप निराश महसूस कर रहे होंगे? पर रुकिए। बाघों की वापसी की कहानी सामूहिक प्रयासों की कहानी है। इसमें आपकी भी एक अहम भूमिका है। जानिए आप 2025 और उसके बाद इस लड़ाई का हिस्सा कैसे बन सकते हैं:
- जागरूकता फैलाएं: सबसे शक्तिशाली हथियार जानकारी है। इस लेख को अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें। उन्हें बताएं कि बाघ क्यों महत्वपूर्ण हैं। सोशल मीडिया पर संरक्षण के लिए काम कर रहे संगठनों को फॉलो करें और उनकी बातें शेयर करें।
- समझदारी से खरीदारी और यात्रा करें: आपकी खरीदारी में बड़ी ताकत है। ऐसे उत्पाद खरीदें जो स्थायी स्रोतों से बने हों (जैसे FSC-प्रमाणित लकड़ी या RSPO-प्रमाणित पाम ऑयल) ताकि आप जंगलों की कटाई में भागीदार न बनें। अगर आप वाइल्डलाइफ देखने जाते हैं, तो ज़िम्मेदार टूर ऑपरेटर चुनें।
- ज़मीन पर काम करने वालों का समर्थन करें: WWF, Panthera, या WCS जैसे प्रतिष्ठित संगठनों को दान देने पर विचार करें जो सीधे बाघ संरक्षण पर काम कर रहे हैं। आपका छोटा सा योगदान भी रेंजरों के वेतन, शिकार-विरोधी उपकरणों और स्थानीय समुदायों की मदद के लिए इस्तेमाल होता है।
- अपनी आवाज़ उठाएं: अपने चुने हुए प्रतिनिधियों को बताएं कि वन्यजीव संरक्षण आपके लिए एक प्राथमिकता है। ऐसी नीतियों का समर्थन करें जो प्राकृतिक आवासों की रक्षा करती हैं और अवैध वन्यजीव व्यापार पर नकेल कसती हैं।
आइए, हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करें कि जंगल में नारंगी और काली धारियों की वह झलक कभी सिर्फ एक याद बनकर न रह जाए, बल्कि एक जीती-जागती, शक्तिशाली दहाड़ बनकर आने वाली पीढ़ियों तक गूंजती रहे।