भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान, 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का ऐलान हो चुका है और इस बार विजेताओं की लिस्ट ने सबको चौंका दिया है। सिनेमा के गलियारों में जिन नामों की गूंज थी, उनमें से कुछ ने बाजी मारी, तो कुछ ने अप्रत्याशित रूप से इतिहास रच दिया। इस साल की शाम शाहरुख खान, रानी मुखर्जी और विक्रांत मैसी के नाम रही, जिन्होंने अपने शानदार अभिनय से जूरी का दिल जीत लिया।

खास बात यह है कि शाहरुख खान को ‘जवान’ के लिए, विक्रांत मैसी को ’12वीं फेल’ के लिए और रानी मुखर्जी को ‘मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनय का सम्मान मिला। यह तीनों ही सितारों का पहला नेशनल अवॉर्ड है, जो इस जीत को और भी यादगार बनाता है।
सितारों के नाम रही ये शाम: पहला नेशनल अवॉर्ड, पहली खुशी
1 अगस्त की शाम को जब सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव को जूरी ने विजेताओं की रिपोर्ट सौंपी, तो हर किसी की धड़कनें बढ़ी हुई थीं। बेस्ट एक्टर और एक्ट्रेस के लिए रानी मुखर्जी और विक्रांत मैसी का नाम सबसे आगे चल रहा था, और फैंस को पूरी उम्मीद थी कि ‘मिसेज चटर्जी’ और ‘मनोज कुमार शर्मा’ के किरदारों को सम्मान ज़रूर मिलेगा।
लेकिन असली सरप्राइज तो तब मिला जब बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड शाहरुख खान की झोली में गया। ‘जवान’ में उनके दमदार अभिनय ने न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर राज किया, बल्कि अब नेशनल अवॉर्ड्स में भी अपनी छाप छोड़ी है। वहीं, ’12वीं फेल’ के साथ हर दिल को छू लेने वाले विक्रांत मैसी और ‘मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’ में एक माँ के संघर्ष को जीवंत करने वाली रानी मुखर्जी की जीत ने साबित कर दिया कि दमदार कहानी और अभिनय हमेशा सराहे जाते हैं।
सिर्फ सितारे ही नहीं, कहानियों का भी हुआ सम्मान

इस बार के अवॉर्ड्स सिर्फ बड़े नामों तक सीमित नहीं रहे। सान्या मल्होत्रा की व्यंग्यात्मक कॉमेडी फिल्म ‘कटहल’ को बेस्ट हिंदी फीचर फिल्म का अवॉर्ड मिला। वहीं, रणबीर कपूर की ब्लॉकबस्टर ‘एनिमल’ ने बेस्ट साउंड डिजाइन और बैकग्राउंड स्कोर की कैटेगरी में अपनी तकनीकी उत्कृष्टता का लोहा मनवाया। अदा शर्मा की फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ के लिए डायरेक्टर सुदीप्तो सेन ने बेस्ट डायरेक्शन का अवॉर्ड जीता।
क्या है नेशनल अवॉर्ड्स का इतिहास और क्यों है यह इतना खास?
यह सिर्फ एक अवॉर्ड सेरेमनी नहीं, बल्कि भारतीय कला और संस्कृति का उत्सव है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की नींव 1954 में भारत सरकार ने रखी थी, ताकि देश भर के बेहतरीन सिनेमा को एक मंच पर सम्मानित किया जा सके। 10 अक्टूबर 1954 को जब पहली बार यह अवॉर्ड दिया गया, तो मराठी फिल्म ‘श्यामची आई’ ने बेस्ट फीचर फिल्म का खिताब जीता था। तब से लेकर आज तक, यह अवॉर्ड हर कलाकार का सपना रहा है।
विजेताओं को सम्मान के तौर पर स्वर्ण कमल या रजत कमल मेडल और साथ में नकद पुरस्कार भी दिया जाता है, जिसे देश के राष्ट्रपति अपने हाथों से प्रदान करते हैं।
71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: विजेताओं की पूरी सूची
मुख्य फीचर फिल्म पुरस्कार:
- बेस्ट एक्टर: शाहरुख खान (जवान) और विक्रांत मैसी (12वीं फेल)
- बेस्ट एक्ट्रेस: रानी मुखर्जी (मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे)
- बेस्ट हिंदी फिल्म: कटहल
- बेस्ट डायरेक्शन: सुदीप्तो सेन (द केरल स्टोरी)
- बेस्ट सिनेमेटोग्राफी: द केरल स्टोरी
- बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर: पीवीएनएस रोहित (बेबी – तेलुगू)
- बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर: शिल्पा राव (चलेया – जवान)
- बेस्ट डायलॉग राइटर: दीपक किंगरानी (सिर्फ एक बंदा काफी है)
- बेस्ट स्क्रीनप्ले: बेबी (तेलुगू), पार्किंग (तमिल)
- बेस्ट स्पेशल मेंशन (फीचर फिल्म): एनिमल (री-रिकॉर्डिंग मिक्सर – एमआर राजाकृष्णन)
- बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट: सुकृति वेनी (गांधी कथा चेतु), कबीर खंडारे (जिप्सी), त्रिशा तोसार, श्रीनिवास पोकले और भार्गव जगपात (नाल 2)
क्षेत्रीय भाषाओं की सर्वश्रेष्ठ फिल्में:
- बेस्ट गुजराती फिल्म: वश
- बेस्ट बंगाली फिल्म: डीप फ्रीज
- बेस्ट असमी फिल्म: रोंगातपु
- बेस्ट कन्नड़ फिल्म: कंडीलू
- बेस्ट तेलुगू फिल्म: भगवंत केसरी
- बेस्ट तमिल फिल्म: पार्किंग
- बेस्ट पंजाबी फिल्म: गोड्डे गोड्डे चा
- बेस्ट ओडिया फिल्म: पुष्कर
- बेस्ट मराठी फिल्म: श्यामची आई
- बेस्ट मलयालम फिल्म: उल्लुझुकु
- बेस्ट ताई फाके फिल्म: पाई तांग… स्टेप ऑफ होप
- बेस्ट गारो फिल्म: रिमदोगितांगा
नॉन-फीचर फिल्म कैटेगरी के विजेता:
- बेस्ट नॉन-फीचर फिल्म: द फ्लॉवरिंग मैन (हिंदी)
- बेस्ट डायरेक्शन: पीयूष ठाकुर (द फर्स्ट फिल्म – हिंदी)
- बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फिल्म: गॉड वल्चर एंड ह्यूमन (इंग्लिश)
- बेस्ट शॉर्ट फिल्म: गिद्ध द स्कैवेंजर (हिंदी)
- बेस्ट सिनेमेटोग्राफी: लिटिल विंग्स (तमिल)
- बेस्ट एडिटिंग: मूविंग फोकस (इंग्लिश)
- बेस्ट म्यूजिक: द फर्स्ट फिल्म (हिंदी)
- बेस्ट साउंड डिजाइन: धुंधगिरी के फूल (हिंदी)
- बेस्ट आर्ट्स/कल्चर फिल्म: टाइमलेस तमिलनाडु (इंग्लिश)
- सामाजिक मुद्दे पर बेस्ट फिल्म: द साइलेंट एपिडेमिक (हिंदी)
- बेस्ट स्पेशल मेंशन: नेकल (मलयालम)