ICICI Bank का नया नियम: क्या अब यह सिर्फ ‘अमीरों का बैंक’ बनकर रह जाएगा?
क्या आपके पास ICICI Bank में अकाउंट है या आप जल्द ही एक नया खाता खोलने की सोच रहे हैं? अगर हाँ, तो एक मिनट रुकिए! बैंक ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसने इंटरनेट पर मानो भूचाल ला दिया है। लोग गुस्से में हैं, सवाल उठा रहे हैं और बैंक के इस कदम को “अभिजात्य” यानी सिर्फ अमीरों के लिए बता रहे हैं।

आखिर ऐसा क्या हुआ? चलिए, आपको आसान भाषा में पूरा मामला समझाते हैं।
कितना बढ़ा मिनिमम बैलेंस? जेब पर पड़ेगा भारी असर!
ICICI Bank ने अपने नए बचत खातों (Savings Accounts) के लिए न्यूनतम औसत बैलेंस (Minimum Average Balance – MAB) की सीमा में भारी बढ़ोतरी की घोषणा की है। यह बदलाव शहर से लेकर गाँव तक, हर जगह के नए ग्राहकों पर लागू होगा।
आँकड़ों पर एक नज़र डालें तो आप खुद समझ जाएँगे कि यह बढ़ोतरी कितनी बड़ी है:
- मेट्रो और शहरी इलाके: पहले जहाँ आपको खाते में औसतन ₹10,000 रखने होते थे, वहीं अब यह सीमा सीधे ₹50,000 कर दी गई है। (जी हाँ, पूरे 5 गुना ज़्यादा!)
- अर्ध-शहरी इलाके: यहाँ न्यूनतम बैलेंस ₹5,000 से बढ़ाकर ₹25,000 कर दिया गया है।
- ग्रामीण इलाके: यहाँ भी ग्राहकों को अब ₹5,000 की जगह खाते में ₹10,000 रखने होंगे।
सबसे ज़रूरी बात: यह नियम 1 अगस्त, 2025 के बाद खुलने वाले नए सेविंग्स अकाउंट्स पर ही लागू होगा। अगर आपका खाता इससे पहले का है, तो आपको घबराने की ज़रूरत नहीं है।
अगर बैलेंस कम हुआ इसलिए? लगेगी तगड़ी पेनल्टी!
बैंक ने सिर्फ सीमा ही नहीं बढ़ाई, बल्कि नियम न मानने पर लगने वाले जुर्माने का भी ऐलान कर दिया है। अगर कोई नया ग्राहक निर्धारित न्यूनतम बैलेंस नहीं रख पाता है, तो उसे:
जितनी रकम कम होगी, उसका 6% या 500 रुपये (जो भी कम हो) बतौर जुर्माना वसूला जाएगा।
इंटरनेट पर फूटा लोगों का गुस्सा: “यह सीधी-सीधी लूट है!”
जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। यूज़र्स ने बैंक पर आरोप लगाया कि वह अपनी दौलत के आधार पर “ग्राहकों को फ़िल्टर” कर रहा है। कई लोगों ने इस फैसले को गरीबों और मध्यम वर्ग के खिलाफ बताते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से हस्तक्षेप की मांग की।
लोगों की कुछ तीखी प्रतिक्रियाएँ देखिए:
- एक यूज़र ने इसे ‘सीधी-सीधी लूट’ बताते हुए लिखा, “RBI, कृपया ध्यान दें, इस पर सोएँ नहीं। ICICI बैंक जनता के इतने बड़े पैसे पर ब्याज कमाएगा। मैं अपना खाता बंद करके दूसरे बैंक में जा रहा हूँ, जहाँ कोई मिनिमम बैलेंस नहीं है।”
- एक अन्य यूज़र ने इसे ‘गरीबों को बैंकिंग से दूर करने की साज़िश’ करार दिया और कहा, “यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।”
- एक तीसरे यूज़र ने इसे ‘निजीकरण का नुकसान’ बताते हुए कहा, “एक तरफ सरकारी बैंक मिनिमम बैलेंस की पेनल्टी खत्म कर रहे हैं, और दूसरी तरफ ये निजी बैंक इसे बढ़ा रहे हैं। लगता है इस बैंक के बुरे दिन शुरू हो गए हैं।”
- एक व्यक्ति ने तो यहाँ तक कह दिया, “ICICI पागल हो गया है! कौन अपनी मेहनत की कमाई का 50,000 रुपये यूं ही बैंक में फंसाकर रखना चाहेगा?”
बैंक ऐसा क्यों करते हैं?
आमतौर पर, बैंक अपने रोज़मर्रा के परिचालन खर्चों (Operational Expenses) और निवेशों को कवर करने के लिए न्यूनतम बैलेंस की शर्त रखते हैं। जो ग्राहक यह शर्त पूरी नहीं करते, उनसे जुर्माना वसूला जाता है। हालांकि, ICICI बैंक की यह बढ़ोतरी अभूतपूर्व है, जिसने बैंकिंग सेवाओं की पहुंच को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
आपका इस फैसले पर क्या सोचना है? क्या यह कदम सही है या ग्राहकों के साथ नाइंसाफी? हमें कमेंट्स में अपनी राय ज़रूर बताएं।