
कल्पना कीजिए, धरती अपनी पूरी ताकत से कांप उठती है। समुद्र में खलबली मच जाती है और उसकी गरजती लहरें किनारों की ओर दौड़ पड़ती हैं। यह कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि रूस के कामचटका प्रायद्वीप में आई उस हकीकत का मंजर है, जिसने पूरे प्रशांत महासागर को दहशत में डाल दिया है। रिक्टर स्केल पर 8.8 की तीव्रता वाले इस भूकंप ने न सिर्फ जमीन को हिलाया, बल्कि 1952 के बाद की सबसे भयानक यादों को भी ताजा कर दिया है।
कामचटका में धरती का दिल दहला देने वाला कंपन
रूस के सुदूर-पूर्वी छोर पर स्थित कामचटका प्रायद्वीप के पास जब धरती हिली, तो यह कोई मामूली झटका नहीं था। यह एक महा-भूकंप था, जिसकी तीव्रता 8.8 मापी गई। रूसी विज्ञान अकादमी ने इसे पिछले 70 सालों में इस क्षेत्र का सबसे शक्तिशाली भूकंप करार दिया है।
लेकिन खौफ यहीं खत्म नहीं होता। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यह तो बस शुरुआत हो सकती है। आने वाले एक महीने तक 7.5 तीव्रता तक के शक्तिशाली आफ्टरशॉक्स (भूकंप के बाद के झटके) इस क्षेत्र को दहलाते रह सकते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है, जहां डर और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
एक भूकंप, और दहशत की सुनामी लहरें
जैसे ही धरती कांपी, प्रशांत महासागर ने अंगड़ाई ली और सुनामी का खतरा एक देश से दूसरे देश तक फैल गया। यह एक डोमिनो इफेक्ट की तरह था, जहां खतरे की घंटी बजती चली गई:
- रूस और इक्वाडोर: इन देशों के कुछ तटीय इलाकों में 3 मीटर (लगभग 10 फीट) तक ऊंची लहरें उठने की आशंका जताई गई।
- जापान और हवाई: जापान ने टोक्यो खाड़ी सहित कई इलाकों में अलर्ट जारी किया, जबकि हवाई के होनोलूलू में सायरन गूंज उठे और लोगों को ऊंचे स्थानों पर जाने की सलाह दी गई।
- अमेरिका और न्यूजीलैंड: अमेरिका के कैलिफोर्निया से लेकर अलास्का तक सुनामी की सलाह जारी की गई। वहीं, न्यूजीलैंड ने भी अपने तटीय इलाकों में “असामान्य और तेज समुद्री धाराओं” की चेतावनी दी।
- फिलीपींस और इंडोनेशिया: इन देशों में भी लोगों को समुद्र तटों से दूर रहने के लिए कहा गया, जहां एक मीटर तक की लहरें पहुंच सकती थीं।
एक भूकंप ने पूरे प्रशांत बेसिन में बसे देशों को एक साथ अलर्ट पर डाल दिया था।
क्यों धधकती है धरती की यह ‘आग की अंगूठी’ (Ring of Fire)?
यह सवाल उठना लाजिमी है कि इस क्षेत्र में इतने विनाशकारी भूकंप क्यों आते हैं? इसका जवाब है- रिंग ऑफ फायर।
इसे धरती की “आग की अंगूठी” भी कह सकते हैं। यह प्रशांत महासागर के चारों ओर फैला 40,000 किलोमीटर का एक ऐसा संवेदनशील क्षेत्र है, जहां धरती की विशालकाय टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती, खिसकती और एक-दूसरे के नीचे धंसती हैं।
- 90% भूकंप इसी क्षेत्र में आते हैं।
- दुनिया के 75% सक्रिय ज्वालामुखी (लगभग 452) यहीं मौजूद हैं।
बोलीविया, चिली, अमेरिका, कनाडा, रूस, जापान, फिलीपींस और न्यूजीलैंड जैसे कई देश इसी अस्थिर और धधकती हुई पट्टी पर बसे हैं, जो उन्हें प्राकृतिक आपदाओं के प्रति बेहद संवेदनशील बनाता है।
प्रकृति की ताकत के आगे एक सबक
रूस में आया यह महा-भूकंप सिर्फ एक प्राकृतिक घटना नहीं है, बल्कि यह हमें प्रकृति की असीम और अप्रत्याशित ताकत की याद दिलाता है। यह हमें बताता है कि हम एक ऐसे ग्रह पर रहते हैं जो जीवित है और लगातार बदल रहा है।
जब होनोलूलू में सायरन बजते हैं या जापान में लोग तटों से दूर भागते हैं, तो यह इंसान की तैयारियों और प्रकृति के प्रकोप के बीच का संघर्ष दिखाता है। यह घटना दुनिया भर के लिए एक चेतावनी है कि हमें हमेशा सतर्क रहने और ऐसी आपदाओं का सामना करने के लिए बेहतर रूप से तैयार रहने की जरूरत है।