
वाशिंगटन डलेस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के ऊपर का शांत आकाश उस वक्त एक अप्रत्याशित और भयावह नाटक का मंच बन गया, जब यूनाइटेड एयरलाइंस के एक विशालकाय बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर का इंजन उड़ान भरने के चंद लम्हों बाद ही धोखा दे गया। यह एक ऐसी घटना थी जिसने 12 जून को अहमदाबाद में हुए हादसे की भयावह स्मृतियों को फिर से ताज़ा कर दिया, क्योंकि दुर्भाग्य से उस प्रकरण में भी यही बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान शामिल था।
मंगलवार, 25 जुलाई। वाशिंगटन से म्यूनिख के लिए अपनी नियमित यात्रा पर निकली फ्लाइट यूए108 ने जैसे ही ज़मीन छोड़ी, पायलट के अनुभव और विमान के परिष्कृत उपकरणों ने एक विनाशकारी सच्चाई को उजागर किया: विमान का बायां इंजन पूरी तरह निष्क्रिय हो चुका था। एक पल की भी देरी किए बिना, कॉकपिट से संकट की सर्वोच्च घोषणा गूंजी। ‘मेडे! मेडे! मेडे!’ यह आपातकालीन पुकार उस जटिल और खतरनाक प्रक्रिया की शुरुआत थी जो अगले कुछ घंटों तक चलने वाली थी।
हवा में संकट और धरती पर तैयारी: एक सुनियोजित वापसी का मंज़र
रिपोर्टों के अनुसार, यह गंभीर तकनीकी विफलता तब हुई जब विमान लगभग 5,000 फीट की मामूली ऊंचाई पर ही था, एक ऐसी ऊंचाई जहाँ ऐसी घटनाएँ अत्यंत खतरनाक मानी जाती हैं। विमान के क्रू ने तत्काल आपातकाल की घोषणा करते हुए, एक ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अपनी पूरी निपुणता झोंक दी, जिसके लिए उन्हें वर्षों प्रशिक्षित किया जाता है। पायलट ने तुरंत एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATC) के साथ एक सघन और महत्वपूर्ण संवाद शुरू किया, जिसका एकमात्र लक्ष्य विमान का धरती पर सुरक्षित अवतरण सुनिश्चित करना था।
इसके बाद जो हुआ, वह विमानन इंजीनियरिंग और मानवीय कौशल का एक असाधारण प्रदर्शन था। फ्लाइटअवेयर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, यह विशाल यान लगभग 2 घंटे 38 मिनट तक हवा में ही मंडराता रहा। यह कोई दिशाहीन उड़ान नहीं थी। यह एक सुनियोजित प्रक्रिया थी, जिसके अंतर्गत वाशिंगटन के उत्तर-पश्चिम में आसमान में चक्कर काटते हुए विमान से अतिरिक्त ईंधन को सावधानीपूर्वक निष्कासित किया गया, ताकि लैंडिंग के समय विमान का वजन सुरक्षित सीमा के भीतर लाया जा सके। एक चूक और सब खत्म।
एविएशन2जेड की एक विस्तृत रिपोर्ट इस प्रक्रिया की जटिलता पर और प्रकाश डालती है। पायलट ने ईंधन गिराने से पहले एटीसी से विधिवत अनुमति प्राप्त की और विमान को लगभग 6,000 फीट की स्थिर ऊंचाई पर बनाए रखा। इस पूरी अवधि के दौरान, एटीसी ने एक अदृश्य संरक्षक की भूमिका निभाई, यह सुनिश्चित करते हुए कि संकटग्रस्त विमान अन्य हवाई यातायात से मीलों दूर रहे और ईंधन का निष्कासन एक सुरक्षित क्षेत्र में हो।
एक बार जब विमान का वजन वांछित स्तर पर आ गया, पायलट ने इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) जैसी उन्नत तकनीक का उपयोग करते हुए रनवे 19 सेंटर पर उतरने की अनुमति मांगी।
विमान की सकुशल वापसी के बाद भी, खतरे के बादल पूरी तरह छँटे नहीं थे। सुरक्षित अवतरण के बावजूद, वह बोइंग-787-8 ड्रीमलाइनर एक घायल परिंदे की भांति लाचार था; उसकी हालत इतनी नाजुक थी कि वह अपने दम पर आगे बढ़ने की शक्ति खो चुका था। खींचकर रनवे से हटाया गया, जो इस बात का प्रमाण था कि इंजन की विफलता कितनी गंभीर थी। सोमवार तक, वह विमान डलेस हवाई अड्डे पर ही खड़ा था, अपनी खामोशी में उस रात की कहानी कहता हुआ। इस घटना में किसी भी यात्री या चालक दल के सदस्य को कोई चोट नहीं आई, जो कि एक चमत्कार से कम नहीं था। अब इस मामले की एक गहन तकनीकी पड़ताल की जाएगी, जिसमें एयरलाइंस, अब इस मामले की गहन पड़ताल के लिए विमान के निर्माताओं और विमानन जगत की सर्वोच्च नियामक संस्थाओं के शीर्ष अन्वेषकों की एक टीम गठित की जाएगी, जिनका एकमात्र ध्येय होगा इस रहस्यमयी विफलता की परत-दर-परत पड़ताल कर उस मूल कारण को उजागर करना, ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी आपदा की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।